Movie Review: कमजोर कहानी के साथ फीका है 'कैदी बैंड' का म्यूजिक
dainikbhaskar.com | Mar 30, 2018, 11:44 PM IST
रेटिंग | 2.5/5 |
स्टार कास्ट | आदर जैन, अन्या सिंह, सचिन पिलगांवकर |
डायरेक्टर | हबीब फैजल |
म्यूजिक | अमित त्रिवेदी |
प्रोड्यूसर | आदित्य चोपड़ा |
जॉनर | सोशल रोमांटिक ड्रामा |
डायरेक्टर हबीब फैजल की फिल्म 'कैदी बैंड' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं। ये फिल्म उन युवाओं की कहानी पर आधारित है जिनपर अंडर ट्रायल मुकदमा चल रहा है। और इसी वजह से उन्हें जेल में बंद किया गया है। जानते हैं कैसी है फिल्म...
कहानी
यश राज बैनर और डायरेक्टर हबीब फैजल की फिल्म 'कैदी बैंड' आज रिलीज हो गई है। इस फिल्म से राज कपूर के नाती आदर जैन बॉलीवुड में एंट्री कर रहे हैं। वहीं, उनके साथ एक्ट्रेस अन्या सिंह भी डेब्यू कर रही हैं। फिल्म की कहानी मुंबई जेल के अंदर शुरू होती है। जेल में अन्य युवाओं की तरह 7 ऐसे युवा कैद भी हैं, जिन पर अंडर ट्रायल मुकदमा चल रहा है। इन जेल में बंद कैदियों की आजादी और छोटी-छोटी ख्वाहिशें है, लेकिन जेल से बाहर आने का इन्हें कोई रास्ता समझ नहीं आता है। 15 अगस्त के मौके पर जेल के जेलर (सचिन पिलगांवकर) सभी कैदियों से परफॉर्म करने के लिए कहते हैं। संजू (आदर जैन), बिंदू (अन्या सिंह) भी अपने साथी युवा कैदियों के साथ मिलकर अपना एक बैंड बनाते हैं और स्वतंत्रता दिवस के लिए एक खास गाना तैयार करते हैं। इन्हें लगता है कि अच्छी प्रस्तुति देने पर ये जेल से रिहा हो जाएंगे। स्वतंत्रता दिवस पर इन कैदियों द्वारा गाया गाना पसंद किया जाता है। इतना ही नहीं इनका ये गाना सोशल मीडिया पर खूब फेमस होता है। बावजूद इसके ये कैदी जेल से रिहा नहीं हो पाते हैं। यहां से शुरू होती है जेल से आजादी की लड़ाई। इसी आजादी की लड़ाई के बीच संजू और बिंदू एक-दूसरे के करीब आते हैं। बताते चले कि यह फिल्म देश के उन कैदियों की बात करती है जो दोषी करार दिए जाने से पहले ही जेल में कैद हैं मतलब अंडर ट्रायल कैदी है। फिल्म के कुछ सीन अच्छे हैं। एक सीन है जिसमें एक व्यक्ति आतंकवाद के आरोप जेल में बंद हैं और उससे हर महीने उसकी बीवी और बेटी जेल में मिलने आते हैं। इसी तरह फिल्म में बेल मिलने की टूटती उम्मीद और जमानत के रुपए न देने पर फिर से जेल जाना जैसी स्थितियों को दिखाया गया है। क्या ये अंडर ट्रायल कैदी जेल तोड़कर भागने में कामयाब हो पाते है? क्या इन्हें न्याय मिल पाता है? ऐसे कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
डायरेक्शन
डायरेक्शन अच्छा है और फ्लॉट भी ठीक है, लेकिन कहानी फीकी है। फिल्म कैदियों का दर्द तो बयान करती है मगर कई जगह कहानी रुकने लगती है। इंटरवेल के बाद का हिस्सा लंबा है और थोड़ा ड्रामेटिक भी है।
एक्टिंग
आदर जैन और अन्या सिंह की ये डेब्यू मूवी है। दोनों ने फिल्म में अच्छा काम किया है। डायरेक्टर ने दोनों से बेहतरीन एक्टिंग करवाई है। बता दें कि आदर जैन, राज कपूर के नाती हैं।
म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक भी कुछ खास नहीं है। सिर्फ एक गाना 'आई एम इंडिया' थोड़ा ठीक लगता है। फिल्म के म्यूजिक पर और काम किया जा सकता था।
देखें या नहीं
यदि आप युवाओं को देखना चाहते हैं और अलग सब्जेक्ट पर बनीं फिल्म देखने में इंट्रेस्ट रखते हैं तो ही देखें। डायरेक्शन अच्छा है, लेकिन कहानी कमजोर हैं।
(News in Hindi from Dainik Bhaskar)